अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के कार्मिकों को संविधान के अनुच्छेद 16 (4ए) व संविधान के 77 वें और 85 वें संशोधनों के अन्तर्गत पदोन्नति में आरक्षण व वरिष्ठता संशोधन से संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित करने
माननीय श्री मुकुल वासनिक,
मंत्रीसामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण,
201-सी विंग, शास्त्री भवन,
नई दिल्ली-110001
विषय:- अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के कार्मिकों को संविधान के अनुच्छेद 16 (4ए) व संविधान के 77 वें और 85 वें संशोधनों के अन्तर्गत पदोन्नति में आरक्षण व वरिष्ठता दिनांक 17.06.1995 से पूर्व की भांति देने व संविधान संशोधन से संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित करने बाबत्|
महोदय,
उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि देश में इन जातियों के लोगों के सामाजिक पिछडेपन के कारण संविधान के 77 वें संशोधन में पदोन्नति में आरक्षण दिया गया है व 85 वें संशोधन से पदोन्नति मंे वरिष्ठता दी गई थी, उक्त संशोधनों को राज्य सरकारों द्वारा उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अन्तर्गत समय पर लागू नहीं करने के कारण अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के कार्मिकों को संविधान के 77 व 85 वें संशोधनों से वास्तविक हक नहीं मिल पाया है।
राजस्थान में सूरजभान मीणा व अन्य के उच्चतम न्यायालय के निर्णय दिनांक 07.12.2010 व इससे संबंधित राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ के निर्णय दिनांक 05.02.2010 के अनुसार राज्य सरकार को एम.नागराज प्रकरण में दिये दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही कर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कार्मिकों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की कार्यवाही करनी थी, परन्तु विभिन्न कमियों/कारणों से अनु.जाति/जन जाति को न्याय नही मिल पा रहा है। इन जातियांे के बहुत से लोग पदोन्नति से वन्चित हो गये है व यह नुकसान निरन्तर जारी है।
अतः कृपया अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के कार्मिकों को संविधान के अनुच्छेद 16 (4ए) व संविधान के 77 वें और 85 वें संशोधनों के अन्तर्गत पदोन्नति में आरक्षण व वरिष्ठता दिनांक 17.06.1995 से पूर्व की भांति देने व संविधान संशोधन से संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित करने संबंधी विधेयक संसद में प्रस्तुत कराने की कार्यवाही कराने का कष्ट करें।
भवदीय
(हरिनारायण बैरवा)
राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय बैरवा महासभा
प्रतिलिपि:- संम्पादक समचार पत्र।
जयपुर दिनांक: 21.05.2012